ड्यूक यूनिवर्सिटी (अमेरिका) के छात्र-छात्राओं की इन कविताओं को मैंने पढ़ा है और इन्हेो उनकी आवाज में मैंने सुना भी है। मंजु मिश्रा जी के सौजन्य से मिली इन कविताओं में बहुत कुछ ऐसा है जिससे यह कहा जा सकता है कि इनके रचनाकरों को कविता की समझ ही नहीं बल्कि बेहतर समझ है... यदि एक कार्यशाला के बाद इतनी अच्छी कविताएँ लिखी जा सकती हैं तो निश्चय ही मंजु मिश्रा जी और इनकी प्रफेसर कुसुम नैप्सिक जी बधाई की पात्र हैं. औपचारिक रूप से हिंदी न पढ़ने वाले छात्र ऐसी कविताएँ लिख सकते हैं यह बहुत बड़ी बात है...
किशोरावस्था में कल्पना शक्ति चरम पर होती है, और प्रेम की भावना का ज्वार भी इसी अवस्था में सबसे अधिक होता है. प्रकृति से जुड़ना, चिड़ियों और तितलियों से प्रभावित होना और फूलों की सुंदरता के प्रति आकर्षित होकर कल्पना लोक में विचरण करना स्वाभाविक ही है..,
ड्यूक यूनिवर्सिटी के बच्चों की कुछ कविताएँ-
गेशना की इस कविता में अल्हड़ कल्पना है और अपनी सहज भावना की सुंदर अभिव्यक्ति है-
मेरा दिल कहाँ गया?
क्या अब वह उन चिड़ियों के साथ है?
जो पेड़ों के ऊपर गाते(गाती) हैं?
क्या यह उन तितलियों के साथ है
जो फूलों के पास उड़ते (उड़ती) हैं?
क्या यह उन गुलाब के साथ है,
जो हवा में नाचते हैं?
जब वसंत आता है,
तब दुनिया के सबसे सुंदर कपड़े पहनते है
-गेशना
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मनीषा की कविता में बचपन से एक दोस्त के साथ दोस्ती खिलौनों से शुरू होकर उसमें भविष्य के सुहावने सपनों के शामिल होने की बात बेहद सहजता से कही गई है, बेहतरीन कविता है-
हमारी कहानी शुरू हुई
बचपन के खिलौने से
लेकिन अब जुड़ गयी
हज़ारों सपनों से
-मनीषा
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ऋतिक ने तो कविता में बहुत बड़ी बात कह दी घोर निराशा के काल में भी आशा के बीज को बचाकर रखने की बात-
अपने पास बीज रखिए,
शायद एक दिन धूप वापस आयेगी
शायद मौसम बदल जाएगा
-ऋतिक
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सहाना ने अपने मित्र के साथ होने से होने वाली खुशी के अनुभूत सत्य के अहसास को कविता में उपमा अलंकार के माध्यम से कह दिया है-
और अक्सर बरसात का दिन उदास होता है
लेकिन तुम्हारे साथ मैं खुश होता हूँ।
तुम गहरी नदी सी हो
और मैं रेत सा हूँ
तुम सुन्दर सूरज सी हो
और मैं अंधेरी रात सा हूँ
-सहाना
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रोहित ने तो वर्तमान वैश्विक आपदा से हुई त्रासदी को कविता का विषय बनाया है और एक बहुत महत्वपूर्ण बात कविता में कह दी है.... दुनियाभर की मानवता को बचाने के लिए सबको मिलकर सोचना होगा, मिलकर काम करना ही होगा-
इस साल
दुनिया और गर्म हो गई
और चिड़ियाँ मर गईं
और पौधे मर गए।
ज़िंदगी और ख़राब हो गई
जो हम देख नहीं सकते।
हमारे लिए भी
वह भी जल्दी खराब हो जाएगा।
जब तक हम सब कुछ नहीं करेंगे
एक साथ दुनिया के लिए
-रोहित
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वरुण की कविता में किशोरावस्था की सहज कल्पना है-
आप हैं एक सपना इतना सुंदर
सोना चाहता हूँ, मुझे मत उठाओ
आपके बिना होने से बचाओ
-वरुण
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यशा की कविता भी प्रेम में मधुर कल्पना के पंखों से उड़ान भरने के सपने संजोये हुए है-
तुमसे मिलने से पहले
इसका नाम मालूम न था।
मेरी जिंदगी में तुम्हारे आने से पहले,
सब गुमसुम था
तुम्हारी तारे जैसी आंखें देख कर
एक ही नज़र से सब समझ गया
इसी को कहते हैं मोहब्बत
-यशा
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किरन की कविता में अपने माता- पिता के प्रति असीम प्यार और आदर का भाव है-
मेरे माँ बाप जैसा कोई नहीं है
जब मैं ख़ुश हूँ
या मैं उदास हूँ
वे हमेशा मेरे साथ हैं
वे फूलो की तरह हैं
हर फूल अलग अलग रंग का है
लेकिन साथ साथ एक जैसा दिखता है
ये हैं मेरे माँ बाप
मेरा सब कुछ
-किरन
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तेजस के लिए माँ- बाप के साथ न रहने की रिक्तता को महसूस करने की सघन पीड़ा उभर कर कविता में आ गई है.... फिर भी वह अपने दोस्तों के साथ रहकर खुश होने की अनुभूति कर लेता है-
घर कहाँ है?
मेरे माँ-बाप नहीं यहाँ है
घर उनके साथ था
लेकिन मैं खुश हूँ
हाँ, मेरे दोस्त,
ये सब मेरे साथ रहते हैं
मैं अक्सर उनको देखता हूँ
-तेजस
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अनेरी की कविता में दार्शनिक विचारों की झलक है, रोना अर्थात दुख भी हमें पास लाने का ही कार्य करते हैं-
अगर सब लोग खुश होते
तो उत्साह कहाँ होता?
रोना खराब नहीं है
वे हमारी मदद करते हैं
हमारे अपने मतभेद हैं
लेकिन वे हमको पास लाते हैं
-अनेरी
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श्री की कविता तो बहुत परिपक्व कविता है.... उसकी भविष्य में माँ बनने की कल्पना और भावी बच्चे को एक आदर्श माँ के रूप में दुनिया को समझाने की परिकल्पना उसके अंदर छिपे भविष्य के बड़े कवि की ओर संकेत करते हैं-
दुनिया डरावनी है
लेकिन जब मैं माँ बनूँगी,
मैं अपने बच्चे को बताऊंगी कि जब बारिश होती है,
रेन बूट्स पहन कर बारिश में नाचो और पडल्स में कूदो
-श्री
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जब मैं माँ बनूँगी,
मैं अपने बच्चे के लिए कई किताबें पढ़ूँगी
तो वे सबके साथ दया का व्यवहार करेंगे,
क्योंकि वे जानेंगे कि
हर किसी की अपनी कहानी होती है।
मैं अपने बच्चे को दिखाऊंगी
कि बहुत कुछ है जो हम नहीं जानते हैं,
जैसे दूर आकाश-गंगाओं के बारे में
और हमारे अपने शरीर के बारे में
तो वे मानेंगे कि सीखना कभी समाप्त नहीं होता
दुनिया डरावनी है
लेकिन जब मैं माँ बनूँगी,
मैं आशा करती हूँ कि
मेरे बच्चे दुनिया की सुंदरता देख सकेंगे
जैसे मेरे मम्मी-पापा ने मुझे दिखाया
-श्री
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साहिल की कविता में व्यावहारिक सीख है..... प्रदूषण भी हमने ही फैलाया है... इसे हम सबको मिलकर ही ठीक करना होगा...
हमने दुनिया खराब कर दी है
मौसम ज़्यादा गरम हो गया है।
हर जगह कचरा बिखर गया है।....
अगर तुम घर नहीं हो तो एसी को बंद करो
अपने दोस्तों से बात करो
उनको जगाओ/दुनिया की मदद करो
-साहिल
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धनशील की कविता बताती है कि अभी सब खत्म नहीं हुआ है.... बहुत कुछ है... हमारे आसपास -
सब बोलते हैं कि
हमारा विश्व खत्म हो रहा है
आजकल हमारे अनुभव में
उदासी और अकेलापन है।
लेकिन
जब मैंने खिड़की से देखा
पेड़ होते हैं,
चिड़ियाँ होती हैं
सूरज होता है
पिछले बार के समान...
-धनशील
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मिहिर की कविता अपनी कल्पना के साथी के साथ रहकर खुश रहने का सपना सँजोये हुए है-
ख़ुशहाल दुनिया में
मेरे साथ आओ
साथ में चलो
हम खुश होएँ...
-मिहिर
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समाया ने प्रकृति और दुनिया के बीच झाँकने की कोशिश अपनी कविता में की है-
घास हरी है
और
फ़ूल रंगीन हैं
लेकिन आकाश भारी है
और दुनिया ख़ाली है...
-समाया
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रजित ने पालतू कुत्ते की बफादारी और उनका अपने मालिक के सुख-दुःख में सुखी होने और दुखी होने के भाव को कविता का विषय बनाया है और बहुत अच्छी कविता लिखी है.... कुत्तों के मुक्त होने की कल्पना रजित की संवेदनशीलता को दर्शाता है-
जब हम दुखी होते हैं
वे हमें आराम देते हैं
जब हम खुश होते हैं
वे हमें खुशी देते हैं
कुत्ते एक आदमी के
सबसे अच्छे दोस्त हैं।
कभी-कभी मैं सोचता हूँ
कि हम कुत्ते ही क्यों पालते हैं?
क्या यह हमारा स्वार्थ है?
शायद एक दिन,
कुत्ते मुक्त होंगे...
-रजित
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प्रथमेश की कविता वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से युक्त कविता है-
हम सब अमेरिकन हैं
हम सब एक ही हैं
लड़ना मत
मारना मत
हम सब एक बड़ा परिवार हैं
दूसरों को प्यार कीजिए
जब हम साथ होते हैं
तो ख़ुशी मिलती हैं।
-प्रथमेश
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हर्ष की दृष्टि में दुनिया में बदलाव बहुत जरूरी है-
हमें न्याय चाहिए
आपको न्याय चाहिए
भेदभाव करना नहीं है
लड़ना सही नहीं है
बदलाव की ज़रूरत है
पूरी दुनिया में
जुल्म नहीं
सिर्फ़ प्यार की ज़रूरत है
भविष्य में,
हमें यह अधिकार देना चाहिए
अब हम शुरू करते हैं।
-हर्ष
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पिप्पा की कविता अपने पालतू कुत्ते से प्रभावित होकर लिखी गई कविता है-
मेरे कुत्ता का नाम जग्गू है
वह बहुत सुंदर है..
वह मुझ पर बहुत गुस्सा करता है
लेकिन वह अभी खुशी भी लाता है
कभी-कभी मुझे उससे नफ़रत होती है
लेकिन वह हमेशा मेरा दोस्त है...
मैं हमेशा उसी से प्यार करता रहूँगा
-पिप्पा
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रचिता की कविता में दार्शनिकता है... अपनी बात कहने का तरीका बहुत अच्छा है.... मुझे लगता है कि भविष्य में यह एक बड़े रचनाकार होने का संकेत है-
बहुत चीज़ें दुनिया में
जिंदा ही नहीं हैं
जैसे धूप ढूँढ़ना मुश्किल है
लेकिन हवा में कुछ नहीं है......
यह कुछ नहीं होना हल्का है
भरो खालीपन
दिल के साथ
खट्टे मीठे विचारों से...
-रचिता
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किन्डल की कविता में अपनेपन का भाव है और अपने मित्र के प्रति उलाहना भी है.... प्रेम में नोंक झोंक जैसा-
अगर आपने
मुझ में खुद को देखा
तो आप
मुझसे पूछते-
“तू कैसी है ?”
लेकिन
तुम नहीं जान पाए
मुझे नहीं लगता...
-किन्डल
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*नाम नहीं है* ..... इनकी कविता में प्रेम को परिभाषित किया गया है-
*....हम झूठे वादे करते हैं/और प्रेम में विश्वास करते हैं/ क्योंकि प्रेम रोया भोर में/और बोला दिन-भर/ और हँसा शाम को/वह हमारे वादों के लिए प्रतीक्षा करता है/ तो प्रेम कभी नहीं सोता/हम विफल हो सकते हैं एक सौ बार/और प्रेम फिर भी प्रतीक्षा करता है...*
कुल मिलाकर बहुत ही बेहतरीन कविताएँ बच्चों ने लिखी हैं... इन्हें पढ़ाने वाले प्रफेसर निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं... कविताओं के लिए विविध विषयों का चयन छात्रों ने किया है और बहुत अच्छी, स्तरीय कविताएँ बच्चों ने लिखी हैं.... .. यह इनके/इनकी प्रफेसर और मंजु जी का जादुई प्रभाव ही है कि मुख्य विषय हिन्दी न पढ़ने वाले छात्रों ने हिन्दी में इतनी श्रेष्ठ कविताओं की रचना की है.
-डा० जगदीश व्योम
दिल्ली, भारत