Sunday 17 July 2011

तितली

- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
रंग बिरंगी चंचल तितली
सबके मन को हरती ।
फूल फूल पर उड़ती रहती
जीवन में रंग भरती ।।

जाने किस मस्ती में डूबी
फिरती है इठलाती ।
आखिर किसे खोजती रहती
हरदम दौड़ लगाती ।।


पीछे पीछे दौड़ लगाता
हर बच्चा मतवाला ।
तितली है या जादूगरनी
सब पर जादू डाला ।।

काश, पंख होते अपने
तितली सी मस्ती करते ।
हम भी औरों के जीवन में
खुशियों के रंग भरते ।।

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