-सभामोहन अवधिया 'स्वर्ण सहोदर`
नटखट हम, हां नटखट हम !
नटखट हम हां नटखट हम,
करने निकले खटपट हम
आ गये लड़के आ गये हम,
आ गये लड़के आ गये हम,
बंदर देख लुभा गये हम
बंदर को बिचकावें हम,
बंदर को बिचकावें हम,
बंदर दौड़ा भागे हम
बच गये लड़के बच गये हम,
बच गये लड़के बच गये हम,
नटखट हम हां नटखट हम !
बर्र का छत्ता पा गये हम,
बांस उठा कर आ गये हम
छत्ता लगे गिराने हम,
छत्ता लगे गिराने हम,
ऊधम लगे मचाने हम
छत्ता टूटा बर्र उड़े,
छत्ता टूटा बर्र उड़े,
आ लड़कों पर टूट पड़े
झटपट हट कर छिप गये हम,
झटपट हट कर छिप गये हम,
बच गये लड़के बच गये हम !
बिच्छू एक पकड़ लाये,
उसे छिपा कर ले आये
सबक जांचने भिड़े गुरू,
सबक जांचने भिड़े गुरू,
हमने नाटक किया शुरू
खोला बिच्छू चुपके से,
खोला बिच्छू चुपके से,
बैठे पीछे दुबके से
बच गये गुरु जी खिसके हम,
बच गये गुरु जी खिसके हम,
पिट गये लड़के बच गये हम !
बुढ़िया निकली पहुँचे हम,
लगे चिढ़ाने जम जम जम
बुढ़िया खीझे डरे न हम,
बुढ़िया खीझे डरे न हम,
ऊधम करना करें न कम
बुढ़िया आई नाकों दम,
बुढ़िया आई नाकों दम,
लगी पीटने धम धम धम
जान बचा कर भागे हम,
जान बचा कर भागे हम,
पिट गये लड़के बच गये हम!
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(1902 - 1980)
मजेदार बाल कविता
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