Monday 27 June 2011

चिड़िया और बच्चे

-डॉ0 जगदीश व्योम


चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ चूँ
भूख लगी मैं  क्या खाऊँ ।

बरस रहा बाहर पानी
बादल करता मनमानी
निकलूँगी तो भीगूँगी 
नाक बजेगी सूँ सूँ  सूँ
चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ .......
  
माँ बादल कैसा होता ?
क्या काजल जैसा होता 
पानी कैसे ले जाता  है ?
फिर इसको बरसाता क्यूँ ?
चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ ।
   
मुझको उड़ना सिखला दो
बाहर क्या है दिखला  दो
तुम घर में बैठा करना
उड़ूँ रात-दिन फर्रकफूँ
चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ ।
   
बाहर धरती बहुत बड़ी
घूम रही है चाक  चढ़ी
पंख निकलने दे पहले
फिर उड़ लेना जी भर तूँ
चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ चूँ ।
    
उड़ना तुझे सिखाऊँगी
बाहर  खूब  घुमाऊँगी
रात हो गई  लोरी गा दूँ
सो जा, बोल रही म्याऊँ
चीं चीं चीं चीं चूँ चूँ चूँ ।
भूख लगी मैं क्या खाऊँ ।।

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